उन्हें खोने का डर था हमें…

खोने में भी कभी-कभी संतुष्टि होती है।

Kesar Shrivastava
2 min readJan 22, 2022

उन्हें खोने का डर था हमें,
उन्हें खोने का डर तो हमेशा था हमें
पर हम इससे वाकिफ़ नहीं थे कि
उन्हें खोना ही सही है।

खोना-पाना तो ज़िंदगी का नियम है,
खोना-पाना ही तो ज़िंदगी है
लेकिन इससे अनजान थे कि
खोने में पाने का भी निवेश है।

कहते हैं कि
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है,
पर हमने जब बिना कुछ खोए उन्हें पाया
तब हमारी खुशी का कोई विवरण नहीं था।
लेकिन नहीं जानते थे कि
अगर उन्हें खो दिया
तब हमारे दुःख का भी कोई वर्णन नहीं होगा।

अब जब पीछे मुड़के देखते हैं
तो लगता है कि वो निवेश तो श्रम था।
एक ऐसा श्रम जो अब ज़िंदगी की एक शून्यता है।
क्योंकि निवेश हमने लाभ के लिए नहीं
जीवन के लिए किया था।

उन्हें खोने का डर था हमें,
उन्हें खोने का डर तो हमेशा था हमें
पर शायद उनकी यादें ही
उनकी उपस्तिथि से बेहतर हैं।
उनको पाने का सम्मान अब भी मन में है
लेकिन उनको खोने की संतुष्टि भी वहीं है।

फिर भी उन्हें खोने का डर तो हमेशा था हमें…

--

--

Responses (1)